देखों!देखो!! मेरे महात्मा गाँधी, देश में चल रही, विकास की आँधी, कोई शेर आ गया है, आप सा ही हैं गुजराती। तेज इंटरनेट और अभिव्यक्ति की आज़ादी, शांत है जन्नत अब कश्मीर की वादी। देखो!देखो!! मेरे महात्मा गाँधी, खुले में शौच मुक्त है, देश की पूरी आबादी। दुनिया भी मान गयी है, भारत बिना महफ़िल आधी। क्षमाशील मातृभूमि है, नहीं सुधरा रहा पाकिस्तानी, रह-रह कर विष उगले, विष की पीते हम प्याली। देखो!देखो!! मेरे महात्मा गाँधी, मासूम न्याय माँग रही हैं, खुले घूम रहे दुराचारी, कितना मुश्किल है सहना, लूट रही कोई बेचारी। क़ानून का तो डर नहीं है, पैसों के नशे में अभिमानी। संत महात्मा ना तेरे जैसे, कुछ यहाँ घूमे बलात्कारी। देखो!देखो!! मेरे महात्मा गाँधी, भूखा भूख से मर रहा है, किसान की मरने की बारी, अंधा धुंध पेड़ कट रहे है, रूकी नहीं कातिल कुल्हाड़ी। देश मेरा बदल रहा है, घर-घर स्कूटर मोटर गाड़ी, धुँआ शोर से दम घुट रहा है, नीर बहे अनंत निधारी। देखो!देखो!! मेरे महात्मा गाँधी, भ्रष्ठी अब कांप रहे है, करते नहीं अब मनमानी। कटे वन उपवन पुकार रहे, देखो सत्तर साल की नादानी।