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फ़रवरी, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गैरों की महफ़िल में

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गैरों की महफ़िल में भी नहीं है किसी का साथ, बैगानी सी अब लगने लगी मुझको हर शाम, उनकी आँखों ने ही हर पल की मुझसे रुसवाई, अच्छा ही हुआ जल्द हिज्र की रात तो आई। ©लिकेश ठाकुर हिज्र:-वियोग,विरह etc

देखो बंसन्त ऋतु की आई बहार

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देखो बसंत ऋतु की आई बहार, सर्द का मौसम हुआ गुलजार, खिल रहे टेसू के फूल उपवन में, प्रकृति ने रंगों से किया श्रृंगार। चहचहाते पंछी के कलरव से महक उठा आँगन घर संसार, सूर्य किरणों की तेज तपन में, पेड़ो की छांव का बहुत आभार। गम में उलझी असंख्य लताएँ, खुलकर जीने का मिला प्रभार, संघर्ष ही तो जिंदगी का नाम हैं, लगन से होते है सपनें साकार। मय्यसर नही यहाँ सब कुछ पाना, सहना पड़ता हैं वक़्त का प्रहार, सीखने में सारी उम्र निकल जाती, ज़िंदगी हैं खुशी गम का आधार। ©लिकेश ठाकुर

जरा सी देर में

समंदर में नदियों को,मिलने की चाहत हैं, कोई ऐसा जो साथ देता,मुझकों हालात-ए-दर्द में। बीते हुये लम्हें,यादों के ज़ख्म खुरद जाता है। ज़रा सी देर में,मंजर बदल जाता हैं। बहते आँसुओं की धार,बहे तो दिल को सुकून आता हैं। साँसें आहिस्ता चल रही,अब कोई मंजिल न ठिकाना हैं। जरा सी देर में,मंजर बदल जाता हैं।। ज़रा सी देर में,मंज़र बदल जाता है।। लिकेश ठाकुर #ज़रासीदेर #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi   Read my thoughts on @YourQuoteApp #yourquote #quote #stories #qotd #quoteoftheday #wordporn #quotestagram #wordswag #wordsofwisdom #inspirationalquotes #writeaway #thoughts #poetry #instawriters #writersofinstagram #writersofig #writersofindia #igwriters #igwritersclub

मिलो इस तरह से

कुछ बातें अनकही सी,दिल यूँही समझ जाये, मिलो तो इस तरह से,दिल ना कभी भूला पाये। कह दो जो हो दिल में,कहीं दफ़न हो न जाये, मय्यसर ज़िन्दगी ये,फिर दिल को ना तड़पाये। मेरा इश्क़ पानी सा,उसमें तेरा चेहरा नजर आये, तुझको महसूस करता,हरपल साया मुझमें समाये। कुछ अधूरी बातों से,आओ दिल को हम बहलाये, मिलो तो इस तरह से,बीते कुछ ज़ख्म भर जाये।। लिकेश ठाकुर

नेताजी

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चुगली बिन पेट न भरे, जीभ रही ललचाय। स्वामी हमारी फितरत है, वाणी फिसलती जाय। जहाँ भीड़ की शक्ल देखी, मेंढ़क मन फुदकाय। कहने को वो लाख है, हमारे झूठे वादे सुने जाय। कोरी-कोरी लालसा, नेताजी अंबार लगाए। पांच साल तक चुप बैठे, चुनाव पहले मुँह दिखाए। गिट्टी सड़कों की निगल लिये, डकार फिर भी न आए। कहत 'ठाकुर' बार बार, फिर भी नेताजी न शरमाये। दो पल की ज़िंदगी, झोली भर-भर लुकाय। रंगीन फिजायें खोखली, पल में पोल खुल जाय। ©लिकेश ठाकुर स्वरचित एवं मौलिक रचना likeshthakur@gmail.com Follow me like comments and subscribe,click this link read more... Instagram:- @poet_likesh_thakur https://www.instagram.com/invites/contact/?i=1vdum2d8m5s0k&utm_content=3buudtm Yourquote: https://www.yourquote.in/poetlikeshthakur Blog:- https://www.likeshthakur.blogspot.com Kavishala:- https://kavishala.in/@likeshthakur Youtube: https://www.youtube.com/channel/UCB8u1BWKQeHy69KuK53KCJw Twitter:- (@PoetLikesh): https://twitter.com/PoetLikesh?s=01 Tumblr: https://likeshtha