संदेश

अक्तूबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राहे यदि दुर्गम हो

राहे यदि दुर्गम हो,, राहे यदि दुर्गम हो फिर भी, हर हाल हमें चलना होगा, कोरी कल्पना मन के कोने की, उसे धीरे-धीरे भरना होगा। रुसवा होंगे कभी तेरे अपने, छोड़ना और मनाना होगा, आगे बढ़े चलना राहों पर, परेशानियों से लड़ना होगा। सबक बने चुभें जो काटा, निकाल उसे फेंकना होगा, पगडंडी पर हो कंकड़ पत्थर, उस पर से निकलना होगा। गैरों को अपना बना के, सबकों गले लगाना होगा, इस छोटी सी ज़िन्दगी में, थोड़ा बहुत मुस्कुराना होगा। किसी मोड़ पर रूके खुशी तो , हाल-ए-बयां दिल करना होगा, मन की सच्ची गहराई में, खुद को कभी टाटोलना होगा। पतझड़ के बाद आते कोपल, कलियों सा महकना होगा, धैर्य भरित अविचलित मन से, नवसृजन भी करना होगा। बाधाओं का भरा समंदर, तैर कर पार करना होगा, तलहटी में छिपे मोतियों को, गोते लगाकर पाना होगा।। ✍️लिकेश ठाकुर

हर लम्हा तुझे पुकारूँ

हर लम्हा तुझे पुकारूँ... संगदिल तुम मेरे साथ न होती, ज़िन्दगी तुम बिन खास न होती। जीते तुम हम मुस्कुराते संग में, कट जाते रास्ते मस्ती के रंग में। यादों में बसी झरोखों की चारू, हमदम हर लम्हा तुझे पुकारूँ।। कोरे कागज में लिखी दिल्लगी, कश्ती मंज़िल तक जा रूकेगी। तेरे रूह को पाने की शिद्दत करती, तेरी उड़ती झुल्फ़े बिंदास लहराती। सोचता दिल की बाते कैसे बताऊँ, तुझको पाकर मदमस्त इतराऊ। तुम हम दोंनो इक दिल में बस जाये, फासले हो कोई हम तुम दूर कर जाये। तुमकों ही दिल में अपने उतारे जाऊं, हमसफ़र हर लम्हा तुझे पुकारूँ।। ✍️©लिकेश ठाकुर *चारु;-मनमोहक,सुंदर  #तुझेपुकारूँ #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #lovequotes #zindagikasafar    Read my thoughts on @YourQuoteApp #yourquote #quote #stories #qotd #quoteoftheday #wordporn #quotestagram #wordswag #wordsofwisdom #inspirationalquotes #writeaway #thoughts #poetry #instawriters #writersofinstagram #writersofig #writersofindia #igwriters #igwritersclub

मिलो इस तरह से

कुछ बातें अनकही सी,दिल यूँही समझ जाये, मिलो तो इस तरह से,दिल ना कभी भूला पाये। कह दो जो हो दिल में,कहीं दफ़न हो न जाये, मय्यसर ज़िन्दगी ये,फिर दिल को ना तड़पाये। मेरा इश्क़ पानी सा,उसमें तेरा चेहरा नजर आये, तुझको महसूस करता,हरपल साया मुझमें समाये। कुछ अधूरी बातों से,आओ दिल को हम बहलाये, मिलो तो इस तरह से,बीते कुछ ज़ख्म भर जाये।। लिकेश ठाकुर

जरा सी देर में

समंदर में नदियों को,मिलने की चाहत हैं, कोई ऐसा जो साथ देता,मुझकों हालात-ए-दर्द में। बीते हुये लम्हें,यादों के ज़ख्म खुरद जाता है। ज़रा सी देर में,मंजर बदल जाता हैं। बहते आँसुओं की धार,बहे तो दिल को सुकून आता हैं। साँसें आहिस्ता चल रही,अब कोई मंजिल न ठिकाना हैं। जरा सी देर में,मंजर बदल जाता हैं।। ज़रा सी देर में,मंज़र बदल जाता है।। लिकेश ठाकुर #ज़रासीदेर #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi   Read my thoughts on @YourQuoteApp #yourquote #quote #stories #qotd #quoteoftheday #wordporn #quotestagram #wordswag #wordsofwisdom #inspirationalquotes #writeaway #thoughts #poetry #instawriters #writersofinstagram #writersofig #writersofindia #igwriters #igwritersclub

थक हार रहा बुढ़ापा

थक हार रहा बुढ़ापा मन थोड़ा बच्चा सा हो गया, अपना भी हुआ पराया। चेहरे पर झुर्रियां पड़ गयी, थक हार रहा बुढ़ापा। दौड़ भाग की ज़िन्दगी जीये, सुख चैन न कोई सहारा। बचपन और जवानी तक, बच्चों को गोद में पाला। देखो! बेटा बाप हो गया, थक हार रहा बुढ़ापा। भौतिकता का स्वाद फैल गया, बनावटी हुआ जमाना। मतभेद अब अहं हो गया, अपना भी हुआ बेगाना। उम्मीदों की किरण खो रही, आँखों में स्वप्न सजाना। आधुनिकता का स्वांग रचाये, थक हार रहा बुढ़ापा। बहू बेटे की अहसानी बातें, यूँही निभाते चला नाता। भरने में झोली जीवन गवाया, कुछ खोया तो कुछ पाया। ज़िन्दगी तू इतनी आसान नहीं, बड़ी गजब है तेरी माया। अनुभव की बातें बोझिल होकर, थक हार रहा बुढ़ापा। जीने की तमन्ना लिए दिल में, कठिन डगर पर न हारा। जब-जब लड़खड़ाये कदम, तब-तब बच्चों का हाथ मैंने थामा। माँ की गोद पिता का आश्रय, यादों का सर्वश्रेष्ठ खजाना। मन थोड़ा बच्चा सा हो गया, याद आता बीता हुआ जमाना। चेहरे पर झुर्रियां पड़ गयी, थक हार रहा बुढ़ापा।। ✍️लिकेश ठाकुर

लघुकथा उसे थोड़ी देर रोक लेना था

लघुकथा शीर्षक:-'"उसे थोड़ी देर रोक लेना था"' बरसात के दिनों की बात हैं,जब तेज बारिश और चमक दमक के साथ बिजली कड़क रही थी।इस काली धूसर मखमली सी रात में बारिश में भीगते हुए मोटरसाइकिल में सवार लड़का "सूरज"बारिश से बचने एक घर के सामने बरामदे में रुकता हैं,अंदर से आवाज आती हैं, कौन हो? लड़का मद्धम आवाज देता हैं,मैं आपके पास के गाँव में रहता हूँ,बारिश बंद हो जायेगी तब चले जाऊँगा,तब घर के अंदर अकेली लड़की आवाज देती हैं,ज़्यादा भीगे तो नहीं हो! सूरज थोड़ा ठहरा और बोला भीग तो गया हूँ,पर कोई बात नहीं जल्दी से ही बारिश थम जाए और घर पहुँच जाऊं। सूरज पूछता आप कौन-कौन हो? अंदर से कुछ देर तक कोई आवाज ही नही आई, फिर धीरे से अनसुनी सी आवाज आती हैं जैसे कोई और घर में हैं, सूरज फिर पूछता है वैसे आप अकेली है या कोई बड़ा है आपके घर में? जवाब आता हैं "हाँ" फिर पूछता क्या नाम है आपका? तो लड़की धीरे से बोलती है, क्या करोगें नाम जानकर? ऐसे ही पूछा रहा हूँ, लड़की बोलती हैं "इतनी भी क्या जल्दी हैं" अरे !बता दूँगी पहले आपके बारे में तो जान लूँ, उतने मे सूरज

तुम वो एहसास हो

दिल में बसी तेरी सूरत, ख्वाबों के तुम हमराज हो, मद्धम-मद्धम बहती हवा सी, दिलबर तुम वो एहसास हो। कुछ अनकही सी बातें, दिल पर सजी लिबास हो, मेरे रूह को छूने वाली हवा सी, संगदिल तुम वो एहसास हो। सज़दे किये ख़ुदा के दर पर, मेरे प्यार का इजहार हो, सुर्ख़ ओठों में लगी लाली सी, सजना तुम वो एहसास हो।। ✍️लिकेश ठाकुर

तोड़ दो बेड़ियाँ चाहरदीवारी

रिश्तों को बुनने में माहिर, तुम महान साहसी हो नारी, नवयुग में उत्थान के खातिर, तोड़ दो बेड़ियाँ चहारदीवारी। तीर्व वेग आँसुओं की झंझा, तुझमें ही दुर्गा महाकाली, रक्त बीज तुझमें जीव कोपल, नव सृजन तुझसे ही नारी। गैरों को अपना बनाने की, कला बस तुझमें ही नारी, सभी पात्रों में सर्वश्रेष्ठ हो, माँ ,बहन ,पत्नी ,दादी,नानी। सबका अस्तित्व बना रहेगा, जब तक तू संसार में नारी। तुझ पर असंख्य लेख लिखे, प्रेमचंद ने बुनी काव्य कहानी। खुद को कम न आंकना, कोई ज़ुल्म न सहना नारी, नवयुग में उत्थान के खातिर, तोड़ दो बेड़ियाँ चहारदीवारी।। ✍️©लिकेश ठाकुर

बेटी बचाओ का नारा

बेटी बचाओ का नारा,ये तो अब दीवारों की शान हैं, इस धरती में मनुष्य रूपी,कुछ हवसी दरिंदे हैवान हैं। ना जाने कितनी निर्भया मासूमों की जाती जान हैं, कुछ करों जिम्मदारों सुन कर क्यों अभी तक अनजान हैं। खोती अपनी मौलिकता बेवजह बहसें होना आम हैं, न्यूज़ चैनलों का मुद्दों से भटकाना रोज का ही काम हैं। थक गया कह-कह मैं 'ठाकुर' बेटियां  पीढ़ियों की शान हैं, भोर की किरणें निकलते सैकड़ों बेटियों की जाती जान हैं।। लिकेश ठाकुर