दीपावली का त्यौहार

दीपावली का त्यौहार

ख़ूब मस्ती,दादी हँसती,
होती चेहरे पर मुस्कान।
छिपा बुढ़ापे की झुर्रियां,
दादा-दादी लगें जवान।
सालभर में एक बार आता,
दीपावली का त्यौहार।

अम्मा नानी जोर से हँसती,
नाना-नानी लगें जवान।
मौशी बच्चे झूला झुलाती,
बच्चों के चेहरे पर मुस्कान।
सालभर में एक बार आता,
दीपावली का त्यौहार।

घर की होती साफ सफाई,
आये धन की घर में बहार।
गुड्डा गुड़ी का खेल खेले,
खिले नन्हें-मुन्ने की मुस्कान।
फोड़ फाटका शोर न करना,
जाग ना जाये बेजुबान।
सालभर में एक बार आता,
दीपावली का त्यौहार।

रूठे हुए को जब मानते,
गले लगा सब मुस्कुराते।
नये रंग बिरंगे कपड़ो में,
रंगोली से जब घर सजाते।
घनघोर अँधेरा अमिट छाप,
आसमान में दीये जगमगाते।
भूल भेद सिख मुस्लिम का,
आपस में सब गले लगाते।
सालभर में एक बार आता,
दीपावली का त्यौहार।
कवि
लिकेश ठाकुर
https:-//likeshthakur.blogspot.com

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