रावण अब मरेगा

रावण अब मरेगा

हो चुका उदघोष यहाँ पर,
रावण अब मरेगा,
करके अपनी मनमानी से,
रावण अब जलेगा।
राम राज की शुरुआत पर,
जाति भेद हरेगा।
कितने झूठे-झूठे वादे से,
दिल कब पसीजेगा।
केवट सा कोई मिले खेवैया,
हनुमान सा मिलेगा।

जुर्म यहाँ पर शान्ति पथ पर,
कोई यहाँ चलेगा।
राम सा मर्यादा पुरुषोत्तम,
यहाँ अब मिलेगा।
मन में छिपा रावण का पुतला,
हर मन से मरेगा।
कलयुग में कर्मयोग का,
पीड़ा कोई हरेगा।
हो चुका उदघोष यहाँ पर,
रावण अब मरेगा।

बेबसों को सहारा देकर,
कोई साई बनेगा।
हो घमंड भरा अंतर्मन में,
रावण अब मरेगा।।

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