सर्द हवाएं
सर्द हवाऐ ये सर्द हवाऐ, रूक जरा तू!! ओढ़ लू कुछ गर्म कपड़े, बहती बड़े शिद्दत से तू, काँपते मेरे फेफड़े। सांस लेने में कठिनाई, सर्द तू बहुत मुझमें समाई। छोड़ ना पाऊं मैं रजाई, सबके हैं यहीं दुखड़े। बूढ़ों को तुम तंग करती, बच्चों के फटते मुखड़े, ठंडा पानी लगता बर्फ़ सा, घास में सजी ओंस की बूंदें। ये सर्द हवाऐ रूक जरा तू!!