तुम क्या जानो हाल हमारा
तुम क्या जानो हाल हमारा, तुमको खोके खुदको जाना रूठ कर क्यों तुम्हें दूर जाना, वापस फिर तुम लौट आना। राह ताकेगी आँखें जब मेरी, आकर मेरे मन में समाना। कोई हकीकत हो या अफ़साना, कोई जुबां पर बात ना लाना, बेवफ़ा रंजिशों से घाव हरा कर, तुम जख्मों में मरहम लगाना। कोई बेरुख़ी मुझसे न करना, वफ़ा की रूत्त में तुम समाना। तुम क्या जानो हाल हमारा, कश्ती को कहीं मिले किनारा। कुछ तो बोलेगा ये जमाना, वापस फिर तुम लौट आना। मिल कर वादे साथ करेंगें, बिछड़ेगे ना कभी हम दुबारा। खो जाये यदि बेदर्द दिल तो, सुर्ख़ अश्को से मुझे रिझाना। बहुत याद तुम्हें हम करते हैं, तुम क्या जानो हाल हमारा।। *बेरुख़ी-नाराज़गी *रूत्त-दामन ✍️लिकेश ठाकुर तुम क्या जानो,हाल हमारा...