होली खेलों रसिया मेरे

होली खेलों रसिया मेरे,
अबीर गुलाल लगाओ,
महक उठे तन मन मेरा,
आहिस्ता रंग उड़ाओ।
दुप्पटा मेरा रंग जाये,
मन भर खूब नचाओ।
होली में संग नाचे गाये,
सुर में सुर थोड़ा मिलाओ।
पँछी मैं हूँ इस कुटिया की,
फ़ूर से मैं उड़ जाऊं।
नये नवेले कपड़ों में तुम,
रँग तुम गहरा लगाओ।
होली खेलों रसिया मेरे,
अबीर गुलाल लगाओ।
तोड़ के सारी जंजीरों को,
आज़ाद पँछी सा इतराओ।
इत्र सी महकू मैं महफ़िल में,
मदमस्त रंग मुझ पर बरसाओ।।
✍️लिकेश ठाकुर

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