सूनी सड़के
सूनी सड़के सूनी चौखट,
कुंडी लगी हैं दरवाजे में,
इंसान ख़ौफ़ में जी रहा हैं,
इक वायरस के आ जाने से।
इक अपील में जाग गए,
लोग लगें देशभक्ति निभाने में,
निःस्वार्थ भाव से लगे हैं लोगों,
गरीबों की कुटिया सजाने में।
शांत मेरा शहर हो गया,
करूणा की चीख पुकारों से,
गरीबी नहीं देखती महामारी,
मंदिर छोड़ भगे अस्पतालों में।।
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