लघुकथा उसे थोड़ी देर रोक लेना था

लघुकथा

शीर्षक:-'"उसे थोड़ी देर रोक लेना था"'


बरसात के दिनों की बात हैं,जब तेज बारिश और चमक दमक के साथ बिजली कड़क रही थी।इस काली धूसर मखमली सी रात में बारिश में भीगते हुए मोटरसाइकिल में सवार लड़का "सूरज"बारिश से बचने एक घर के सामने बरामदे में रुकता हैं,अंदर से आवाज आती हैं,
कौन हो?
लड़का मद्धम आवाज देता हैं,मैं आपके पास के गाँव में रहता हूँ,बारिश बंद हो जायेगी तब चले जाऊँगा,तब घर के अंदर अकेली लड़की आवाज देती हैं,ज़्यादा भीगे तो नहीं हो!
सूरज थोड़ा ठहरा और बोला भीग तो गया हूँ,पर कोई बात नहीं जल्दी से ही बारिश थम जाए और घर पहुँच जाऊं।
सूरज पूछता आप कौन-कौन हो?
अंदर से कुछ देर तक कोई आवाज ही नही आई,
फिर धीरे से अनसुनी सी आवाज आती हैं जैसे कोई और घर में हैं,
सूरज फिर पूछता है
वैसे आप अकेली है या कोई बड़ा है आपके घर में?
जवाब आता हैं "हाँ"
फिर पूछता क्या नाम है आपका?
तो लड़की धीरे से बोलती है,
क्या करोगें नाम जानकर?
ऐसे ही पूछा रहा हूँ,
लड़की बोलती हैं "इतनी भी क्या जल्दी हैं"
अरे !बता दूँगी पहले आपके बारे में तो जान लूँ,
उतने मे सूरज से लड़की बोली:- "बिजली कड़क रही है आपको डर नही लगता"
लग तो रहा पर क्या करें,ये बारिश थम ही नहीं रही है।
लड़की:-"क्या आपसे और बाते कर सकती हूँ,"
हाँ,बिल्कुल मेरा मन भी बहल जायेगा,और आपसे और पहचान भी बढ़ जाएगी,
लड़की, खिड़की के पास सूरज के पीछे के तरह आ जाती हैं ताकि इस मधुर सी आवाज वाले लड़के को देख सके।
अरे! बाबा नाम तो बता दो,
फिर जवाब आता है:-"खुशबू"
सूरज बोला "परफ्यूम नही लगाया मैंने आपको कहाँ से खुशबू आ रही हैं?"
अरे!बुधू मेरा नाम खुशबू है,इतने में सूरज हँस पड़ा और खुशबू भी जैसे लग रहा मानो पहले से एक दूसरे को जानते हो,धीरे-धीरे बातों का सिलसिला चलता रहा,यहाँ तक कि एक दूसरे की पसंद नापसंद सब उन्हें एक सी लग रही थी बात तो ऐसे में कर रहे थे मानो साथ बैठ कोई अपना बात कर हो,बस वहाँ सिर्फ दीवार का फासला था,खुशबू मन ही मन
सपनें सजाने लगी,सोच रही मैं तो ऐसा ही दोस्त चाहती हूँ,पर एक अजनबी को अपनी भावनाओं को पूरा व्यक्त नही कर पा रही, संकोच कर रही कि सूरज क्या? सोचेंगे कि "इतने जल्दी मेरी बातों में फिदा हो गयी पगली"
खुशबू और सूरज ईधर दोनों सोच रहे काश! एक दूजे को देख पाते सूरज से खुशबू ने बोला कि अंदर कोई और हैं तो डर के मारे हाँ बोल दिया अब न उसे अंदर बुला सकती थी ना हि उस पर पूरा भरोसा,कैसे अकेली लड़की
सूरज पर विश्वास करती,वो सिर्फ चारदीवारी के पार उससे मीठी मीठी बातें ही कर सकती थी।
कुछ देर बाद बारिश थम गई अब सूरज को तो घर जाना था बेचारा भीगने के कारण पूरा ठंडा पड़ गया था,और ईधर खुशबू हिम्मत भी नही कर पा रही थी कि उसे अंदर बिठा लूँ।फिर दोनों को बारिश थमने के बाद भी अलविदा कहने का मन नहीं हो रहा था शायद उन्होंने बातों ही बातों में बिना देखे कुछ सपनें सजा लिये हो,पर क्या करें मर्यादा की बेड़ियों में जकड़ी खुशबू के पैर दरवाजे की चौखट तक भी न आ सके पर क्या करें मर्यादा की सीमा हैं,जो उस अजनबी का चेहरा भी न देख पा रही न सूरज देख पा रहा,
सूरज अलविदा कहके चला गया,
अधूरी बातें खुशबू के दिल को बहुत कचोट रही थी,थोड़ी लंबी सांस लेने के बाद ख़ुद से कहती है,
"ये मर्यादाओं की बेड़ियों भी इंसान को बिना बँधे भी बंधा हुआ महसूस कराती हैं"
खुशबू को मन ही मन लग रहा था उसे कुछ देर और रोक लेना था ताकि उससे अपने दिल की बात कर पाती,जो उसे बिना देखें अपना सा महसूस हो रहा था।
कवि
लिकेश ठाकुर
बरघाट सिवनी (मध्यप्रदेश)
https://likeshthakur@gmail.com

Follow me on  Instagram as @poet_likesh_thakur https://www.instagram.com/invites/contact/?i=1vdum2d8m5s0k&utm_content=3buudtm

Yourquote: https://www.yourquote.in/poetlikeshthakur

Blog:-
https://www.likeshthakur.blogspot.com

Kavishala:-
https://kavishala.in/@likeshthakur

Youtube:
https://www.youtube.com/channel/UCB8u1BWKQeHy69KuK53KCJw

Take a look at poet likesh thakur (@PoetLikesh): https://twitter.com/PoetLikesh?s=01
Tumblr:
https://likeshthakur.tumblr.com/

Pinterest:
https://in.pinterest.com/likeshthakur/

Facebook:
https://www.facebook.com/likeshthakur

Nojoto:
https://nojoto.com/profile/a703d82ea48f7f96683217c21e3721f0/
Check out *Poet likesh Thakur's* profile on Writco App
https://www.writco.in/user/Poetlikeshthakur

Koo:-https://www.kooapp.com/profile/likeshthakurpoerty
Paperwiff:-
https://www.paperwiff.com/likeshthakur

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हर लम्हा तुझे पुकारूँ

इस जीवन की

गैरों की महफ़िल में