बेटी बचाओ का नारा

बेटी बचाओ का नारा,ये तो अब दीवारों की शान हैं,
इस धरती में मनुष्य रूपी,कुछ हवसी दरिंदे हैवान हैं।
ना जाने कितनी निर्भया मासूमों की जाती जान हैं,
कुछ करों जिम्मदारों सुन कर क्यों अभी तक अनजान हैं।
खोती अपनी मौलिकता बेवजह बहसें होना आम हैं,
न्यूज़ चैनलों का मुद्दों से भटकाना रोज का ही काम हैं।
थक गया कह-कह मैं 'ठाकुर' बेटियां  पीढ़ियों की शान हैं,
भोर की किरणें निकलते सैकड़ों बेटियों की जाती जान हैं।।
लिकेश ठाकुर

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