इस जीवन की
इस जीवन की चादर में,
सांसों के ताने बाने हैं!
दुख की थोड़ी सी सलवट है,
सुख के कुछ फूल सुहाने हैं!
क्यों सोचें आगे क्या होगा,
अब कल के कहाँ ठिकाने हैं
ऊपर बैठा वो बाजीगर,
जाने क्या मन में ठाने है!
चाहे जितना भी जतन करें,
भरने का दामन तारों से!
झोली में वो ही आएँगे,
जो तेरे नाम के दाने है।।
हवा चले अनुकूल तो नावें नौसिखिए भी खे लेते हैं ,
सहज डगर पर लँगड़े भी चल बैसाखी से लेते हैं ।
मिट जाते जो दीप स्वयं रोशन कर लाख चिरागों को
नमन उन्हें है ,जो लौटा लाते हैं गई बहारों को । फैलाकर के हाथ किसी के सम्मुख झुकना आसाँ है ,
बहती नदिया से पानी पी प्यास बुझाना आसाँ हैं ,
नित्य खोदकर नए कुएँ जो सबकी प्यास बुझाते हैं ,
वही लोग हैं जो सदियों तक जग में पूजे जाते हैं ।|
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