गजल-तू हकीकत है सिर्फ मैं अहसास हूँ

तू हकीकत है सिर्फ मैं अहसास हूँ,
तू समंदर तो मैं भटकी हुयी प्यास हूँ।
खो जाऊँ इनमे लहरों की आग हूँ,
किनारा ढूंढ़ता गजल का साज हूँ।

तू जो सपने में आये मैं अहसास हूँ,
दिल की राहे से गुजरे मैं इक शाम हूँ।
ज़िद्दी तेरी अदाएं मैं मदमस्त राग हूँ,
तू नजरों का पैमाना झलकती आग हूँ।

तुम समझो ना गैर मुझे मेरी रहगुज़र,
तू खुदा की रहमत सा हसीन द्वार हो,
तू मेरी ज़िन्दगानी कभी तू रुसवा हो,
तू ना रहना बेखबर मैं तेरा अरमान हूँ।




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हर लम्हा तुझे पुकारूँ

इस जीवन की

गैरों की महफ़िल में