कोरोना योद्धा डॉक्टर्स

Lockdown 2.0 
D2#poem 2.1
#कोरोनायोद्धा

नन्हीं बेटी बोल रही हैं,
पापा दूर क्यों खड़े हो,
आ जाओ पास मेरे,
अब मुझे गले लगाओ,

बहुत दिन हो गए साथ,
बैठ खाना नहीं खाये,
भाई माँ और मेरा,
हाल जानने नहीं आये।

दिखते एक ही पोशाक में,
कोई राज तो बताओ।
हमकों कहीं नही घुमाते,
शहर शांत क्यों है बताओ।

मुँह बाँधे अलग रहते हो,
दुखियों के दुख हरते हो।
दूसरों की परवाह करते,
ऐसे में सुपरहीरो लगते हो।

दिन क्या रात तुम्हारी,
छुट्टियां नहीं बड़ी जिम्मेदारी।
माँ को रहती चिंता भारी,
जब तक नहीं आती गाड़ी।।
कवि लिकेश ठाकुर

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