ऐ ख़ुदा तेरी तस्वीर के इक


ऐ ख़ुदा तेरी तस्वीर के इक
पहलू जैसे मेरे पिता-मैया।
जब दुख दर्द मुझे होता तो,
छिप चुप रोती मेरी मैया।
अरे दुनिया तो निकालती हैं,
सब में कुछ न कुछ कमियां।
माँ में ममत्व का संसार बसा,
डाँटती पुचकारती मेरी मैया।
जैसा भी हूँ उसका अंश हूँ।
दादा-पिता का आगामी वंश हूँ।
मैं एक जरिया प्रेम संसार का,
बहती कश्ती का खेवइया।
तुम हो मधुर राग दोहा,सवैया,
वात्सल्य विराट मूरत मेरी मैया।
क्षीर दाता तुझ सा कोई नहीं,
तेरे बिन अधूरे ख़्वाब मेरी मैया।
सजदे किये बहुत ईश चरणों में,
तुमसा कोई दूजा ना पिता-मैया।
तुमसे ही सुख सुकून सम्रद्धि,
पिता लगाए भव पार मेरी नैया।।
ऐ ख़ुदा तेरी तस्वीर के इक,
पहलू जैसे मेरे पिता-मैया।।
कवि लिकेश ठाकुर

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