चाय

चाय
आओं हुजूर कभी,पीने कड़क चाय।
बैठे संग मस्ती में,मन की करे बात।
सौ बातों से बेहतर,बड़ी आपकी राय।
आओं हुजुर कभी,पीने कड़क चाय।
करीब आने का ज़रिया,पी ले थोड़ी चाय।
कुछ अलग बात है,इन चुस्कियों का राज।
चौपालों की शान हैं,गरमा गरम ये चाय।
अजनबी मिले एक हुए,मन में भरे उल्लास।
आओं हुजूर कभी,पीने कड़क चाय।
पल में काम बन गया,नीदों की सुरसुराहट।
मद्धम बारिश में भींगे,पिये अदरक की चाय।
इक कप चीनी संग,बढ़ता हैं मेल मिलाप।
रात हो या हो सुबह,ट्रेनों में बिके चाय।
माँ नानी दादी बनाती,कड़क गरम चाय।
आओं हुजूर कभी,पीने कड़क चाय।।
@लिकेश ठाकुर

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