एक परछाई देखी है

एक परछाई देखी है,
एक सच्चाई देखी है,
उड़ते अरमानों से,
अपनों की जुदाई देखी है।
आँखों से अश्को को,
छिप-छिप रूलाई देखी।

एक लड़ाई देखी है,
एक अंगड़ाई देखी है,
मिलते हुये प्यार की,
पल-पल रुसवाई देखी है।
बिछड़े हंसो के जोड़ो की,
शिकवे मिटते देखी है।

एक भलाई देखी है,
एक हँसाई देखी है,
रो-रो कर हाल बुरा,
कभी अपनी बुराई देखी है।
सब्र में तन्हा यादों की,
जग हँसाई देखी है।

एक दुहाई देखी है,
एक रिहाई देखी है,
रिश्तों को जुड़ने में,
बहुत कठिनाई देखी है।
टूटते तारों की महफ़िल में,
गलतफहमी मिटते देखी है।।
@लिकेश ठाकुर






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