आप जो मेरे ज़िन्दगी में


आप जो मेरे ज़िन्दगी में,
सबसे अमूल्य हो,
निभाते चलते साथ कदम,
बड़े अजीज हो।
समय-समय पर आप मुझे,
उचित मार्ग बताते हो,
गिर के ठहर जाऊ तो,
चलना मुझे सिखाते हो।
सारथी मेरे कर्म मार्ग के,
जीना मुझे सिखाते हो,
खो जाऊ कश्मकश उलझन में,
हौसला मेरा बढ़ाते हो।
जगत में समंदर सा ह्रदय,
अनमोल सी संपदा हो,
मेरे लिये द्रोणआचार्य सा,
सहयोग उम्मीद अपार हो।
चमक आपके चेहरे की,
व्यवहारयुक्त भ्राता हो,
अंदाज निराला आप का,
जैसे जीवन का सार हो।
रीत है जैसी आप चलाते,
सबका विकास हो,
घर सा लगता इस ऑफिस के,
हम सब के प्रिय बॉस हो।
नैया हमारी पार लगाने में,
श्वेत मेघ से ढके गिरिराज हो,
शब्दों में वक़्त न कर पाऊ,
मनुज भले आप हो।
  युवा कवि/शिक्षक
  लिकेश ठाकुर

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