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सितंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारत के गांवों शहरों में

भारत के गांवों शहरों में,सपनो को बुनते देखा है। बिन स्वार्थ इंसान को,देश के लिए जीते देखा है। वो न मांगे घर भरने को,उधार चुकाते देखा है। सच्ची मेहनत लगन से,दिन रात जागते देखा ...

ज्ञान प्रकाश की मूरत शिक्षक

ज्ञान प्रकाश की मूरत          शिक्षक ज्ञान प्रकाश की मूरत को, शत-शत नमन हमारा। बच्चों के भावी भविष्य को, शिक्षक ही सजाता है। उचित अनुचित फर्क को, शिक्षक हमें बताता। शिष्यों...

कोरी महज अफवाहें थी

*कोरी महज अफवाहें थी* कोरी महज़ अफवाहें थी, खुली परते देर से। अफ़सानों की पोल खुल गई, चालाकी के फेर में। नब्बे फीसदी लौट आ गई, काली थी सफ़ेद में। कीमतें आसमां को छू रही, डॉलर के कहर ...