*गर्व करो अब बेटी पर*
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रचित मेरी रचना
*गर्व करो अब बेटी पर*
जन्म लिया बेटी ने,
सारे जग का उद्धार किया।
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।
ममता की मूरत भोली सूरत,
खुशियों का सागर भर दिया।
साथ तुम्हारा छोड़ गयी जब,
परायो के घर मे खुशियों भर दिया,
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।
सफ़र कटा जब आयी बारी,
माँ का फर्ज अदा किया।
बेटी-बेटो के खुशियों के खातिर,
अपना सब कुछ वार दिया।
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।
परिवार की नींव को संभालते,
पहले से मजबूत किया।
एकजुट होकर सारे परिवार को सहज किया,
भेदभाव न किया बेटी-बेटो का
सारी खुशियाँ वार दिया।
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।
बनी लोरी एक कहानी,
दादी माँ का प्यार दिया।
नाती पोतो के खातिर
अपना बुढ़ापा हार दिया।
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।
जन्म लिया बेटी ने,
सारे जग का उद्धार किया।
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।।
✒ युवा रचनाकार
*लिकेश *ठाकुर*
बरघाट(जिला सिवनी)म.प्र
(वर्तमान निवास भोपाल)
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रचित मेरी रचनायें
*गर्व करो अब बेटी पर*
जन्म लिया बेटी ने,
सारे जग का उद्धार किया।
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।
ममता की मूरत भोली सूरत,
खुशियों का सागर भर दिया।
साथ तुम्हारा छोड़ गयी जब,
परायो के घर मे खुशियों भर दिया,
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।
सफ़र कटा जब आयी बारी,
माँ का फर्ज अदा किया।
बेटी-बेटो के खुशियों के खातिर,
अपना सब कुछ वार दिया।
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।
परिवार की नींव को संभालते,
पहले से मजबूत किया।
एकजुट होकर सारे परिवार को सहज किया,
भेदभाव न किया बेटी-बेटो का
सारी खुशियाँ वार दिया।
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।
बनी लोरी एक कहानी,
दादी माँ का प्यार दिया।
नाती पोतो के खातिर
अपना बुढ़ापा हार दिया।
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।
जन्म लिया बेटी ने,
सारे जग का उद्धार किया।
गर्व करो अब बेटी पर,
जिसने तुम्हें संसार दिया।।
✒ युवा रचनाकार
*लिकेश *ठाकुर*
बरघाट(जिला सिवनी)म.प्र
(वर्तमान निवास भोपाल)
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