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सँभल कर चलना सीख रहा

    * सँभल कर चलना सीख रहा * संभल सँभलकर चलना सीख रहा, यह कपटी जमाने में। पल में रोते हँसते कुछ नेता यहाँ,बेगानो के जनाजो में। उतदंड भीड़ आक्रोशित जन,लगता समय मनाने में। खुश रह सक...

जीवन मेरा उपकार भरा है

जीवन मेरा उपकार भरा है, अपनों का भार उठाने को। मुश्कान लिए मुश्किल में होता, अपना कोई मुझे उठाने को। जिजीविषा देख मेरी उम्मीद लिए बैठा है, करता रहा समर्पण मैंने कितनों का अह...

याद है पापा की हँसी

*याद है पापा की हँसी* याद है वह दिन जब मै सोता, कठिन डगर थी जब में रोता। हाथ पकड़े जब इतरा के चलता, पिता का साया सिर पर होता। मीठी कोमल हँसी खिलखिलाती, पीठ में जब मेरी बहना चढ़ जाती। ...