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मई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

*एक अटल अमर दीप*

*एक अटल अमर दीप* चाह नही जलना फिर भी, जलकर में डटा हुआ। राह नहीं आँधी से लड़ता, बूझकर मैं डटा हुआ। तिमिर होते आतंक के साये से, डर मुझको भी लगता है। जलता हूँ खिलखलाते , तूफान मुझ पर ह...

माँ मैं बड़ा क्यों हो गया।

*माँ मैं बड़ा क्यों हो गया* माँ मैं बड़ा क्यों हो गया, शिशु बन जाऊं एक बार। बीता समय शिशु से यौवन, आज नही पल-पल का साथ। बड़ा हो गया हूँ फिर भी, मन रहता हरवक्त साथ। आँचल में सोने का मन कर...