आज भी शाम गुजर जाएगी
आज भी शाम गुजर जाएगी, मुझकों तन्हा कर जाएगी, तेरी यादों के सहारे अब, क़ातिल रात कट जाएगी। मिलों आहिस्ता चाँदनी रातों को, तुझे देख जुगनू भी शर्माएगी, मधु के पियाले में तेरी झलक, मुझकों पागल कर जाएगी। नयनों से बहती अश्रुओं को, देख शामें इन्हें इक़रार करेगी, मद्धम होता अब इश्क़ नशे में, ये आँखे किस पर ऐतबार करेगी। रूठ गई न जाने क्यों संगदिल, कितना और मुझे घायल करेगी, यादों के कारवाँ में बसी तुम, इन धड़कनों से कब निकलेगी। आज भी शाम गुजर जाएगी, मुझकों तन्हा कर जाएगी।। ✍️©लिकेश ठाकुर