*ये सुन बटोही देख जरा तू* ये सुन बटोही देख जरा तू, इन वीरों के मार्ग पर, जिसकी छाती है फौलादी, देख डटा हुआ सरहद पर। शेरों सी दहाड़ निकाले, लेटा बर्फ बंजर वीरान भूमि पर, अपनो की याद स...
*लहरों का कुछ भी ना दोष * लहरों का कुछ भी ना दोष, जिधर चले प्रजा वहाँ न होश। फुकट खाने का मन करता, अन्याय होता दिखे पर न रोष।। सर्द की रातों की ठिठुरन, ओढ़ के मखमली कंबल। कुछ को नसीब ...